मानव धर्मशास्त्र यथार्थ गीता में ही सब कुछ निहित -संत अच्युतानंद जी महाराज।
मानव धर्मशास्त्र यथार्थ गीता में ही सब कुछ निहित -संत अच्युतानंद जी महाराज
सोनभद्र(विनोद मिश्र/सेराज अहमद )
चितरंगी ,सिंगरौली क्योंटली में रविवार को निःशुल्क यथार्थ गीता वितरण में सबसे पहले संत अच्युतानंद जी महाराज द्वारा गुरु वंदना के साथ कार्यक्रम शुरू किया गया, जिसमें गीता प्रेमियों को साई हॉस्पिटल एंड कॉलेज के संरक्षक डॉक्टर वी सिंह ने बताया कि प्रकृति सनातन है, आत्मा सनातन है, माया सनातन है, परमात्मा सनातन है जो की शरीरों की यात्रा कर रही है क्या यह यात्रा कभी रुकेगी भी, योगी, सन्यासी, इस आत्मा की यात्रा को रोक देता है ,गीता में स्पष्ट रूप से बताया गया है की हम सभी जिसके अंश हैं उसमें विलीन हो जाएंगे, नियत कर्म के द्वारा, गीता में यज्ञ क्या है योग क्या है, नियत कर्म क्या है, विधिवत वर्णित है श्री सिंह ने बताया कि यह गीता कदाचित विस्मृत हो चुका था, लेकिन 5200 वर्ष पूर्व योगेश्वर श्री कृष्ण अगहन महीने के शुक्ल पक्ष एकादशी जिसे मोक्षदा एकादशी भी कहते हैं, योगेश्वर श्री कृष्ण इस अविनाशी योग को सर्वप्रथम सूर्य से कहा, सूर्य ने मनु से इच्छवाकु और राजर्षियों ने जाना, गीता ही एकमात्र मानव धर्म ग्रंथ है जिसकी विधिवत शाश्वत, सारगर्भित, व्याख्या यथार्थ गीता में निहित है इसका चार बार सोपान करने से भगवान स्वयं ही उठाने ,बैठाने, चलाने, फिराने लगते हैं, योगेश्वर श्री कृष्ण कहते हैं अनन्य भक्ति से जो सभी धर्मो को छोड़कर एकमात्र मेरी शरण में आ जाए, उसे मैं सभी पापों से मुक्त करते हुए उस परमधाम, परम गति को प्राप्त कर दूंगा जिसकी उसने कभी कल्पना भी ना की होगी यथार्थ गीता वितरण समारोह में उत्तर प्रदेश के सोनभद्र से आए साइन हॉस्पिटल एंड कॉलेज के संरक्षक डॉक्टर वी सिंह, शिक्षक नरेंद्र प्रताप सिंह, व्यवसायी सियाराम केसरी,
विपिन कुमार मालवीय सहित दर्जनों लोग उपस्थित रहे, संत अच्युतानंद जी महाराज एवं डॉ वी सिंह ने उपस्थित लोगों में निःशुल्क के साथ गीता का वितरण किया, कार्यक्रम का संचालन विवेकानंद मिश्र ने किया अखंड प्रताप सिंह, अनिल कुमार सिंह राजकुमार सिंह सहित दर्जनों लोग उपस्थित रहे।