*पितृ-विसर्जन के दिन उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ः*

*पितृ-विसर्जन के दिन उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ः*
•-अमावस्या पर श्रद्धालुओं ने सिर मुंडवाकर स्नानदान,श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए नदी, तालाबों किनारे किया तर्पण

अवधेश कुमार गुप्ता
गुरमा- सोनभद्र।आश्विन मास की अमावस्या के अवसर पर पितृ विसर्जन और पिंड दान के लिए रविवार को अलसुबह से ही ग्रामीण इलाकों में श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा। तड़के सुबह से ही लोग घरों से निकलकर नजदीकी नदी,तालाबों और सरोवरों की ओर जाते दिखे। परंपराओं के मुताबिक इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और पिंड दान का विशेष महत्व होता है। इसी वजह से ग्रामीण इलाकों के जलाशयों पर श्रद्धालुओं की भीड़ दिनभर बनी रही।तालाबों और सरोवरों पर धार्मिक माहौल बना रहा।ग्रामीण क्षेत्र के अलग-अलग तालाबों नदियों और सरोवरों के किनारे सुबह से ही परिवारों का आना शुरू हो गया था। नदी तथा सरोवरों पर श्रद्धालुओं की सबसे अधिक भीड़ देखी गई। लोग पहले सर मुंडवाकर स्नान करते दिखे, इसके बाद विधिविधान से पिंड दान और तर्पण किया। इस दौरान पंडितों के मार्गदर्शन में श्रद्धालुओं ने जल और तिल अर्पित करते हुए पितरों को स्मरण किया।
पितृ पक्ष की समाप्ति पर अमावस्या को पितरों का विसर्जन करना सनातन परंपरा का हिस्सा माना जाता है। इसी वजह से ग्रामीण परिवार पूरे श्रद्धा भाव से इस दिन पितरों को याद करते हैं।लोगों का मानना है कि पितृ विसर्जन और दान से पितरों को तृप्ति और संतोष प्राप्त होता है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।


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