
धनुष यज्ञ के साथ राम लीला का हुआ समापन
धनुष यज्ञ के साथ राम लीला का हुआ समापन
सोनभद्र (विनोद मिश्रा/सेराज अहमद)
घोरावल /स्थानीय ब्लॉक क्षेत्र के ओदार गांव में गत वर्षों की भांति वृहस्पतिवार की रात्रि को धनुष यज्ञ का जीवंत मंचन किया गया।रामलीला के तीसरे और अंतिम दिवस पर महाराजा जनक की घोषणा के साथ मंचन शुरू हुआ।राजा जनक की प्रतिज्ञा थी कि जो वीर शिव धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाएगा, उसी से उनकी पुत्री सीता का विवाह होगा।देश-विदेश से आए कई बलवान राजाओं ने धनुष उठाने का प्रयास किया,लेकिन कोई भी सफल नहीं हो सका।धनुष टस से मस नहीं हुआ, जिससे राजा जनक निराश हो गए।पूरा दरबार शांत हो गया।
इसके बाद गुरु विश्वामित्र की आज्ञा पाकर श्रीराम धनुष उठाने को आगे आए।उन्होंने गुरु और आराध्य को प्रणाम किया और बड़ी सहजता से भगवान शिव के विशाल धनुष को उठा लिया।जैसे ही श्रीराम ने धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाई,वह दो टुकड़ों में टूट गया।धनुष टूटते ही पूरा पंडाल ‘जय श्री राम’ और ‘जय सिया राम’ के नारों से गूंज उठा।वातावरण भक्तिमय हो गया।इसी के साथ श्रीराम को माता सीता ने वरमाला पहनाई।शिव धनुष भंग होने की सूचना मिलते ही क्रोधी स्वभाव महान पराक्रमी भगवान परशुराम मंच पर प्रकट हुए।उनका और लक्ष्मण के बीच हुआ तीखा संवाद दर्शकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा।भगवान श्री राम ने भगवान परशुराम को संतुष्ट किया।इधर लखनलाल के
जयकारों से पंडाल बार-बार गुंजायमान होता रहा।मंचन में श्रीराम के रूप में शिवम त्रिपाठी और लक्ष्मण के रूप में आयुष सिंह ने जीवंत कला का प्रदर्शन किया।वहीं मयंक त्रिपाठी,संदीप विश्वकर्मा,हर्षित विश्वकर्मा,धर्मेंद्र विश्वकर्मा,अनुराग सिंह,अजय त्रिपाठी,विजय सिंह आदि ने अपने किरदारों को बखूबी निभाया।रामलीला का आयोजन श्री राघवेंद्र रामलीला कमेटी ओदार द्वारा किया गया।मौके पर तमाम लोग रहे।











