नौकरी करके पढ़ाया-लिखाया, सिपाही बनते ही बदला पत्नी का व्यवहार…. ज्योति आलोक जैसा सामने आया एक और मामला।
सोशल मीडिया पर इन दिनों एसडीएम ज्योति मौर्य और उनके पति आलोक मौर्य का मामला जोरों से छाया हुआ है। दोनों के मुद्दों को लेकर जगह-जगह चर्चा हो रही है।
सोशल मीडिया पर इन दिनों एसडीएम ज्योति मौर्य और उनके पति आलोक मौर्य का मामला जोरों से छाया हुआ है। दोनों के मुद्दों को लेकर जगह-जगह चर्चा हो रही है। हालांकि धीरे-धीरे इस तरह के मामले अब और भी सामने आने लगे। कानपुर के बाद अब प्रयागराज से एक और इसी तरह का केस मिला, जिसमें नौकरी लगने के बाद पत्नी पति को छोड़कर चली गई। पत्नी को वापस लाने के लिए पति दर-दर की ठोकरें खा रहा है। पति उसे लेने भी जाता है लेकिन पत्नी उसे दुत्कार कर भगा देती है।
मामला प्रयागराज जिले के मेजा के जरार गांव का है। यहां के रहने वाले रविंद्र कुमार ने बताया कि उसने पत्नी को पढ़ाने के लिए हर जतन किए। प्राइवेट नौकरी करके उसे पढ़ा लिखा कर पुलिस की नौकरी दिलाई। अब वही पत्नी उसके साथ जीवन यापन नहीं करना चाह रही है। 2 दिन पहले रविंद्र कुमार पत्नी को मनाने के लिए गाजीपुर जिले के उस थाने पहुंचे जहां पत्नी की तैनाती है। पत्नी को साथ रहने को बोला तो भला बुरा कहते हुए भाग जाने को कही।
सिपाही पत्नी की दुत्कार के बाद गांव लौट आया। बुधवार को दोपहर जरार गांव की दलित बस्ती में लोग पहुंचे तो सिपाही के पति ने रो कर बताया कि जिस पत्नी को उसने पढ़ा लिखा कर नौकरी दिलाई अब हो उसके जान की दुश्मन बन चुकी है। रविंद्र की मां ने भी बताया कि इकलौते बेटे की शादी वर्ष 2016 में मांडा के एक गांव में सुषमा से कर दी। सुषमा उस समय 11वीं कक्षा पास थी। उसे 12वीं व बीए की परीक्षा दिलाने के बाद पुलिस की नौकरी दिलवाई तो खुशी छा गई। लेकिन पुलिस की नौकरी पाते ही बहू का व्यवहार बदल गया, वह ससुराल से अधिक मायके पक्ष से मतलब रखते हुए ससुराल आने से इंकार कर रही है। इसके लिए बिरादरी से पंचायत भी कराई, लेकिन कुछ ना हो सका। अभी एसडीएम की कहानी सुर्खियों में थी कि प्रयागराज के मेजा का यह मामला भी जोर पकड़ने लगा है।
सिपाही बनते ही पति पत्नी के रिश्ते में आई खटास
रविंद्र ने बताया कि उसकी जिंदगी अच्छी खासी चल रही थी। 1 दिन सुषमा का यूपी पुलिस में सिलेक्शन हो गया। पत्नी सिपाही बनी तो दोनों के बीच के रिश्तो में दूरियां बढ़ने लगी। उसने बताया कि पत्नी सुषमा की पढ़ाई के लिए उसकी जीतोड़ मेहनत की। उसके हर जरूरत को पूरा किया। यहां तक कि उसने अपनी जमीन तक भेज डाली। सुषमा के ग्रेजुएशन के लिए मेहनत करके फीस भरता था, लेकिन जब उसकी नौकरी लगी तो उसका व्यवहार भी बदल गया।