
किसानों के चेहरे पर छाई मायूसी देख रहे पानी की राह*
किसानों के चेहरे पर छाई मायूसी देख रहे पानी की राह
बिशुनपुरा सावन महीना में वर्षा के अभाव में बंजर हुई भूमि, खेतो में उड़ रही धूल।
संवाददाता अशहर
आज धरती के भगवान किसान के मायूस चेहरा देख कर दिल सहम गया। वर्षा कम होने के कारण धान के बिचड़ा भी सुख रहा है, अपने ही खेत पर घूमता एक किसान, वे अपने खेत में किए हुवे धान के बिचड़ा को देख कर मायूस होकर वंही फुट फुट कर रोने लगे। सरांग पंचायत के जतपुरा के किसानों ने बताया की 1966-67 के अकाल को झेला है उन्हें पुनः उसकी याद सताने लगी है।आर्द्रा नक्षत्र, आषाढ़ और अब सावन भी बीतने वाला है अभी तक वर्षा नही के बराबर हुई है, दिन में चिलचिलाती धुप व् उमस भरी गर्मी से पूरा जनजीवन तबाह है। वर्षाभाव में खेतो से धूल उड़ रही है, सारी भूमि बंजर सी हो गयी है ऐसी स्थिति में प्रकृति की रुख भांपकर किसानों के बच्चे रोजी-रोटी की तलाश में अन्य प्रदेशों की ओर पलायन शुरू कर दिए हैं।