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बिरसा मुंडा की जयंती पर निकाली गई प्रभातफेरी

बिरसा मुंडा की जयंती पर निकाली गई प्रभातफेरी

सोनभद्र (विनोद मिश्रा /सेराज अहमद )

विकास खण्ड घोरावल स्थित कंपोजिट विद्यालय खरुआंव द्वारा स्वतंत्रता सेनानी एवं आदिवासी नेता बिरसा मुंडा की जयंती पर प्रभात फेरी निकाली गई।
प्रभात फेरी में विद्यालय के शिक्षकों के निर्देशन में छात्रों ने गांव में भ्रमण किया। इस दौरान छात्र – छात्राओं ने बिरसा मुंडा अमर रहे आदि नारों से क्षेत्र को गुंजायमान कर दिया। रैली गांव भ्रमण के पश्चात वापस विद्यालय परिसर लौट आई। विद्यालय के प्रधानाध्यापक नंद कुमार शुक्ल द्वारा बच्चों को बिरसा मुंडा के संक्षिप्त जीवन परिचय से अवगत कराते हुए उनके संघर्षों की जानकारी दी गई।बताया कि बिरसा मुंडा एक महान स्वतंत्रता सेनानी और आदिवासी नेता थे, जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका जन्म 15 नवंबर 1875 को झारखंड के खूंटी जिले में हुआ था।

👉बिरसा मुंडा का जीवन और कार्य:
बिरसा मुंडा का जन्म एक आदिवासी परिवार में हुआ था। उन्होंने अपनी शिक्षा खूंटी में प्राप्त की और बाद में उन्होंने आदिवासी समुदाय के अधिकारों के लिए लड़ना शुरू किया।
बिरसा मुंडा ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ विद्रोह किया और आदिवासी समुदाय को संगठित किया। उन्होंने झारखंड में आदिवासी विद्रोह का नेतृत्व किया, जिसे “मुंडा विद्रोह” के नाम से जाना जाता है।

👉बिरसा मुंडा की मुख्य मांगें थीं:
1. आदिवासी जमीनों पर अधिकार।
2. ब्रिटिश सरकार द्वारा लगाए गए करों का विरोध।
3. आदिवासी समुदाय के अधिकारों की रक्षा।

👉बिरसा मुंडा की मृत्यु:
बिरसा मुंडा को 3 मार्च 1900 को ब्रिटिश सरकार ने गिरफ्तार किया और उन्हें जेल में डाल दिया गया। वहां उन्हें जहर दिया गया और 9 जून 1900 को उनकी मृत्यु हो गई।

👉बिरसा मुंडा की विरासत:
बिरसा मुंडा को झारखंड का राष्ट्रीय नायक माना जाता है। उनकी विरासत आज भी झारखंड और आदिवासी समुदाय में जीवित है। उनके नाम पर कई संस्थान, स्कूल और कॉलेज हैं।

बिरसा मुंडा के नाम पर झारखंड सरकार ने कई पुरस्कार और योजनाएं शुरू की हैं, जैसे कि बिरसा मुंडा पुरस्कार, बिरसा मुंडा योजना आदि।बिरसा मुंडा की कहानी एक प्रेरणा है कि कैसे एक व्यक्ति अपने समुदाय के अधिकारों के लिए लड़ सकता है और अपनी मातृभूमि के लिए बलिदान दे सकता है।

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