
एक परमात्मा के प्रति पूर्ण समर्पण ही धर्म का मूल।
एक परमात्मा के प्रति पूर्ण समर्पण ही धर्म का मूल।
करमा, सोनभद्र( विनोद मिश्रा/सेराज अहमद)
अनन्य भक्त के द्वारा मैं प्रत्यक्ष देखने जानने तथा प्रवेश करने के लिए भी सुलभ इस अविनाशी आत्मा को कोई बिरला ही आश्चर्य की तरह देखता है, आश्चर्य की ज्यों उपदेश करता है और कोई बिरला ही इसे आश्चर्य की ज्यों सुनता है अर्थात यह प्रत्यक्ष दर्शन है यह आत्मा सर्व व्यापक, अचल, स्थिर रहने वाला और सनातन है ।आत्मा ही सत्य है
धौरहरा स्थित महेंद्र नाथ यादव के आवास पर यथार्थ गीता पाठ का रविवार को समापन हुआ
मुन्ना लाल यदुवंशी पसियाही चुनार की टीम द्वारा सर्वप्रथम गुरु वंदना से कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ हुआ
योगेश्वर श्री कृष्ण ने बताया कि संपूर्ण भाव से उसे एक परमात्मा की शरण में जो जिसकी कृपा से तू परम शांति, शाश्वत परमधाम को प्राप्त होगा इस प्रकार यह अति गोपनीय शास्त्र मेरे द्वारा कहा गया इस तत्व से जानकर मनुष्य पूर्ण ज्ञाता तथा कृतार्थ हो जाता है अतः योगेश्वर श्रीकृष्ण की यह वाली स्वयं में पूर्ण शास्त्र है धार्मिक उथल-पुथल को छोड़ एक मात्र मेरी शरण हो जा अर्थात एक भगवान के प्रति पूर्ण समर्पण ही धर्म का मूल है उस प्रभु को पाने की नियत विधि का आचरण ही धर्माचरण है और जो उसे करता है वह अत्यंत पापी भी शीघ्र धर्मात्मा हो जाता है भगवान श्री कृष्ण ने कहा- इस अविनाशी योग को मैंने आरंभ में सूर्य से कहा, सूर्य ने इसे स्वयंभू आदि मनु से कहा; अर्थात गीता ही आदि धर्मशास्त्र है जिसके अनुसार एक परमात्मा ही सत्य है परम तत्व है वह कण-कण में व्याप्त है। योग- साधना के द्वारा वह परमात्मा दर्शन, स्पर्श और प्रवेश के लिए सुलभ है ।भगवान द्वारा उपदिष्ट वह आदि ज्ञान वैदिक ऋषियों से लेकर अद्यावधि अक्षुण्ण रूप से प्रभावित है यथार्थ गीता पाठ में मुख्य रूप से सूरज यादव, प्रज्ञानंद, उमेश प्रजापति, प्रेमनाथ,राम आशीष पटेल, बाबा तिवारी अनिरुद्ध यादव, धर्मेन्द्र यादव, पुनवासी यादव सहित दर्जनों लोग मौजूद रहे