
ओबरा के हनुमान मंदिर में खिचड़ी से मिट रही है दूरियां, 18वें शनिवार भी जारी रहा भंडारा
ओबरा के हनुमान मंदिर में खिचड़ी से मिट रही है दूरियां, 18वें शनिवार भी जारी रहा भंडारा
सोनभद्र (विनोद मिश्रा/सेराज अहमद)
आज के आधुनिक और भागदौड़ भरे युग में जहाँ समाज जातियों और आर्थिक श्रेणियों में बँटा नजर आता है, वहीं जनपद के ओबरा स्थित सुभाष तिराहा हनुमान मंदिर ने सामाजिक समरसता की एक नई इबारत लिख दी है। यहाँ आयोजित होने वाला साप्ताहिक ‘खिचड़ी भंडारा’ अब केवल आस्था का विषय नहीं, बल्कि नर-सेवा और भाईचारे का जीवंत केंद्र बन चुका है। बीते शनिवार को इस सेवा अभियान का 18वां पड़ाव सफलतापूर्वक पूरा हुआ। इस आयोजन की भव्यता इसकी सादगी में है। यहाँ आने वाला हर व्यक्ति, चाहे वह संपन्न हो या जरूरतमंद, एक ही पंक्ति में बैठकर प्रेमपूर्वक खिचड़ी का प्रसाद ग्रहण करता है। यह दृश्य समाज में व्याप्त ऊँच-नीच के भेदभाव को समाप्त करने की दिशा में एक सशक्त प्रहार है। इस पुनीत अभियान की नींव स्थानीय पत्रकार अजीत सिंह ने रखी थी। एक छोटी सी शुरुआत आज एक व्यापक जन-आंदोलन का रूप ले चुकी है।
मानवता को सर्वोपरि मानने वाले अजीत सिंह का कहना है कि मानवता की सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है। जब मनुष्य बिना किसी स्वार्थ और भेदभाव के एक-दूसरे के सहयोग के लिए खड़ा होगा, तभी एक सुदृढ़ और अखंड समाज की स्थापना संभव है। कार्यक्रम में पत्रकार अजीत सिंह के पिता बाबूराम सिंह स्वयं उपस्थित रहकर अपने हाथों से प्रसाद वितरित करते हैं। बुजुर्गों की इस सक्रिय भागीदारी ने स्थानीय युवाओं में सेवा के प्रति नई ऊर्जा का संचार किया है। इस सामाजिक यज्ञ में क्षेत्र के कई गणमान्य व्यक्ति अपनी आहुति दे रहे हैं। कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रमुख योगदान रहा संरक्षक मंडल ओम प्रकाश सिंह एवं संकट मोचन झा सर्वेश दुबे, सरिता सिंह, पुष्पा दुबे, रीता कुमारी, राजू श्रीवास्तव, आदित्य वर्मा,सहयोगी दल सुनील दत्ता, रणजीत तिवारी, बाबूलाल एवं मनोज। 18वें शनिवार को सेवा कार्य में हाथ बंटाने
समाजसेवी व मजदूर नेता पंकज गौतम, ओबरा विधायक के अनुज श्यामू गौड़ और शुभम कुशवाहा भी पहुँचे। उन्होंने आयोजकों के इस प्रयास की मुक्त कंठ से सराहना की। हनुमान मंदिर अब ओबरा में सेवा और समर्पण का पर्याय बन गया है। परहित सरिस धर्म नहिं भाई के संकल्प के साथ यह समिति न केवल भूख मिटाने का कार्य कर रही है, बल्कि समाज को एकता के सूत्र में पिरोने का महान संदेश भी दे रही है।











