राम वनवास की लीला देख दर्शकों की भर आई आंखें। मंथरा की जुगली से अयोध्या में मचा हड़कंप।

राम वनवास की लीला देख दर्शकों की भर आई आंखें।
मंथरा की जुगली से अयोध्या में मचा हड़कंप।
– रामलीला के छठवें दिन भगवान राम के वनवास की लीला का हुआ सजीव मंचन ।

सोनभद्र( विनोद मिश्रा/सेराज अहमद)
नगर के रामलीला मैदान में आयोजित रामलीला के छठवें दिन भगवान राम के वनवास की लीला का सजीव मंचन किया गया। वन गमन के समय पुत्र वियोग महाराज दशरथ का विलाप देख कर बैठे दर्शकों की आंखों से अश्रु धारा बहने लगी।
बातदें कि प्रयागराज के सुप्रसिद्ध कलाकारों द्वारा रामलीला की शुरुआत के दृश्य में दिखाया गया कि अयोध्या नरेश महाराज दशरथ ने विचार किया कि राम को अयोध्या का राजा बनाया जाए। उन्होंने अपने मंत्री सुमंत को बुलाकर बड़े बेटे राम को राजा बनाए जाने के लिये राज्याभिषेक की तैयारी करने का आदेश दिया। यह सूचना जैसे ही महारानी कैकेयी की दासी मंथरा को प्राप्त हुई, मंथरा ने महारानी के कान भरना शुरू कर दिया। महारानी कैकेयी मंथरा की बातों को मानकर राजा दशरथ से अपने पुराने दो वरदान मांगे। राजा दशरथ ने महारानी कैकेयी को दोनों वरदान देने का निर्णय करते हुए कहा कि हम रघुवंशी हैं, हम अपने दिए गए वचन को निभाने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। कैकेयी ने अपने पुत्र भरत को राजतिलक और कौशल्या पुत्र राम को चौदह वर्ष का वनवास मांगा। यह सूचना जैसे ही भगवान राम को मिली, भगवान राम तुरन्त वन गमन को तैयार हो गए। जैसे ही भगवान राम के वन गमन की सूचना महराज दशरथ को हुई, वो विचलित और व्याकुल हो गए। भगवान राम, सीता और लक्ष्मण के साथ वन गमन करने को प्रस्थान किया, वैसे ही राजा दशरथ फूट-फूट कर रोने लगे और पूरी अयोध्या नगरी में शोक छा गया। भगवान राम के साथ अयोध्या के हजारों नर, नारी भी वन गमन करने को तैयार हो गए। इसके बाद भगवान राम तमसा नदी के किनारे पहुंचे। जहां उन्होंने रात्रि विश्राम किया।
वही बारिश के बावजूद भी रामलीला प्रांगण दर्शकों से भरा रहा। इस अवसर पर समिति के अध्यक्ष पवन कुमार जैन, राकेश गुप्ता, प्रमोद गुप्ता, आनंद मिश्रा, विमल अग्रवाल, विजय कनोडिया, सुमन केसरी, चंदन केसरी, उमेश केसरी, प्रशांत जैन सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।


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