
*गाँव की गलियों से सीआईएसएफ की ऊँचाइयों तकः अनुज गौड़ की प्रेरक उड़ान*
*गाँव की गलियों से सीआईएसएफ की ऊँचाइयों तकः अनुज गौड़ की प्रेरक उड़ान*
•~निरंतर प्रयास, सही दिशा और दृढ़ संकल्प के साथ कोई भी युवा गाँव की गलियों से निकलकर पहुंच सकता है देश की सुरक्षा की ऊँचाइयों तक
*अवधेश कुमार गुप्ता*
गुरमा,सोनभद्र।राजस्थान के बहरोड़ स्थित रीजनल ट्रेनिंग सेंटर (आरटीसी) का परेड ग्राउंड 15 नवंबर 2025 की सुबह मानो उत्साह,अनुशासन और नव-ऊर्जा से भर उठा था।यहाँ 49वीं बैच के कॉन्स्टेबल/जीडी की पासिंग आउट परेड का आयोजन हुआ।वह पल जब 1,440 युवा प्रशिक्षु अपने कठोर प्रशिक्षण की यात्रा पूरी करके सीआईएसएफ की वर्दी के गर्वित सदस्य बनने वाले थे।
समारोह की गरिमा बढ़ा रही थीं मुख्य अतिथि श्रीमती सोनिया नारंग, आईपीएस, इंस्पेक्टर जनरल (एनसीआर सेक्टर), सीआईएसएफ, जिनकी उपस्थिति ने कार्यक्रम को एक विशेष महत्त्व और प्रेरक ऊर्जा प्रदान की।लेकिन इस दिन का असली सितारा थे कॉन्स्टेबल अनुज गौड़, जिन्होंने 47 सप्ताह की चुनौतीपूर्ण बेसिक ट्रेनिंग में सभी क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए ऑल-राउंड बेस्ट ट्रेनिंग ट्रॉफी अपने नाम की। यह उपलब्धि केवल एक पुरस्कार नहीं, उनकी मेहनत, अनुशासन और संकल्प का प्रमाण थी।अनुज की कहानी उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जिले के छोटे से गाँव औसानी दरगाह से शुरू होती है-एक ऐसा गाँव जहाँ मिट्टी की महक और सरल जीवन से बड़े सपने जन्म लेते हैं। किसान श्री लल्लन गौड़ और गृहिणी श्रीमती पंकली देवी के यह अनुशासित पुत्र बचपन से ही सादगी, मेहनत और ईमानदारी की सीख लेकर बड़े हुए। देश सेवा की लौ उनके भीतर तब जली जब उन्होंने कारगिल युद्ध के नायक कैप्टन विक्रम बत्रा की गाथाएँ सुनीं वहीं से उनके जीवन को एक दिशा मिली।2020 में दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय, गोरखपुर से स्नातक पूरा करने के बाद अनुज ने अपने सपनों को लक्ष्य बनाकर पूरी शक्ति से तैयारी शुरू कर दी। उनकी लगन आखिरकार 2024 में रंग लाई, जब महज 23 वर्ष की आयु में उनका चयन सीआईएसएफ में कॉन्स्टेबल पद के लिए हुआ।आरटीसी बेहरोर में 47 सप्ताह की ट्रेनिंग उनके लिए सिर्फ शारीरिक क्षमता की नहीं, बल्कि मानसिक दृढ़ता की भी परीक्षा थी। थकावट के क्षणों में वे स्वयं को एक ही मंत्र से संभालते-
” *रुकना नहीं है… जब तक मंज़िल हासिल न हो जाए।”*
मस्कट्री, वेपन हैंडलिंग, आंतरिक विषयों, ड्रिल और नेतृत्व हर क्षेत्र में उनके प्रदर्शन ने उन्हें अपने साथियों में विशिष्ट बना दिया और फिर 15 नवंबर 2025 का वह सुनहरा क्षण आया जब अनुज गौड़ को पूरे बैच के ऑल-राउंड बेस्ट ट्रेनिंग ट्रॉफी से सम्मानित किया गया। मंच पर कदम रखते समय उनकी आँखों की नमी उनकी यात्रा के हर संघर्ष, हर त्याग और हर उम्मीद को एक साथ बयां कर रही थी। नीचे बैठे उनके पिता के गर्व भरे चेहरे और माँ की भावनाओं से भीगी आँखों ने उस पल को और भी पवित्र बना दिया।इस सम्मान ने न सिर्फ अनुज के सपने पूरे किए, बल्कि उनके गाँव, उनके जिले और उन अनगिनत युवाओं की उम्मीदें भी ऊँची कर दीं जो सीमित साधनों के बावजूद बड़े सपने देखते हैं।अनुज गौड़ की यह यात्रा एक प्रेरक सच है कि निरंतर प्रयास, सही दिशा और दृढ़ संकल्प के साथ कोई भी युवा गाँव की गलियों से निकलकर देश की सुरक्षा की ऊँचाइयों तक पहुँच सकता है।











