
*नाबालिग लड़की के साथ शादी का झांसा देकर दुष्कर्म किए जाने के मामले में दोषी जगदीश प्रजापति को 10 वर्ष की कठोर कैद*
*नाबालिग लड़की के साथ शादी का झांसा देकर दुष्कर्म किए जाने के मामले में दोषी जगदीश प्रजापति को 10 वर्ष की कठोर कैद*
•~ 50 हजार रूपये अर्थदंड न देने पर भुगतानी होगी दो माह की अतिरिक्त कैद
•~ सजा में समाहित होगी जेल में बितायी अवधि
•~ अर्थदंड की धनराशि में से पीड़िता को मिलेगी 40 हजार रूपये
•~ मामला करीब साढ़े 7 वर्ष पूर्व 16 वर्षीय नाबालिग लड़की का
सोनभद्र (सेराज अहमद /अवधेश कुमार गुप्ता)
करीब साढ़े 7 वर्ष पूर्व 16 वर्षीय नाबालिग लड़की को बहला फुसलाकर शादी का झांसा देकर उसके साथ दुष्कर्म करने के मामले में अपर सत्र न्यायाधीश/ विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट अमित वीर सिंह की अदालत ने मंगलवार को सुनवाई करते हुए दोषसिद्ध पाकर दोषी जगदीश प्रजापति को 10 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई। उसके ऊपर 50 हजार रूपये अर्थदंड भी लगाया है। अर्थदंड अदा न करने पर दो माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। जेल में बिताई अवधि सजा में समाहित होगी। वहीं अर्थदंड की धनराशि में से 40 हजार रूपये पीड़िता को मिलेगी।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक म्योरपुर थाना क्षेत्र निवासी पीड़िता के पिता ने दी तहरीर में आरोप लगाया था कि 7 जनवरी 2018 को 6 बजे शाम जगदीश प्रजापति पुत्र मोतीलाल प्रजापति निवासी किरबिल , थाना म्योरपुर, जिला सोनभद्र उसकी 16 वर्षीय नाबालिग लड़की को बहला फुसलाकर शादी करने का झांसा देकर दुष्कर्म किया। बेटी ने सारी बात बताई तो अपनी इज्ज़त के लिए बेटी के बालिग होने पर शादी करने के लिए कहा, लेकिन वह तैयार नहीं हुआ। आवश्यक कार्रवाई करें। इस तहरीर पर पुलिस ने 13 जनवरी 2018 को एफआईआर दर्ज कर मामले की विवेचना शुरू कर दिया। पर्याप्त सबूत मिलने पर विवेचक ने जगदीश प्रजापति के विरुद्ध दुष्कर्म व पॉक्सो एक्ट में कोर्ट में चार्जशीट दाखिल किया था। मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्को को सुनने, 6 गवाहों के बयान एवं पत्रावली का अवलोकन करने पर दोषसिद्ध पाकर दोषी जगदीश प्रजापति (30) वर्ष को 10 वर्ष की कठोर कैद एवं 50 हजार रूपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर दो माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। जेल में बिताई अवधि सजा में समाहित की जाएगी। वही अर्थदंड की धनराशि में से 40 हजार रूपये पीड़िता को मिलेगी। अभियोजन पक्ष की ओर से सरकारी वकील दिनेश प्रसाद अग्रहरि, सत्यप्रकाश त्रिपाठी और नीरज कुमार सिंह ने बहस की।











